सरकारी स्कूलों में दाखिला लेने वाले बच्चों को प्राइवेट स्कूल नहीं दे रहे हैं टीसी।


फरीदाबाद की आवाज़ : प्राइवेट स्कूलों की महंगी फीस से परेशान अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं लेकिन स्कूल प्रबंधकों द्वारा टीसी न दिए जाने से प्रदेश की हजारों बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूलों में नहीं हो पा रहा है। स्कूल प्रबंधक टीसी देने की एवज में अभिभावकों से अप्रैल मई-जून की फीस मांग रहे हैं जबकि स्कूल खुले नहीं है और बच्चा एक दिन भी स्कूल गया नहीं है। हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि ऐसे बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूलों में बिना टीसी के कराया जाए। मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने बताया कि लॉकडाउन के चलते लोगों का रोजगार छिन गया है आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई है अभिभावक प्राइवेट स्कूलों की महंगी फीस सहन नहीं कर पा रहे हैं अतः वह अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों से निकालकर सरकारी स्कूल में दाखिला कराना चाहते हैं लेकिन स्कूल प्रबंधक टीसी नहीं दे रहे हैं और उसकी एवज में काफी पैसा मांग रहे हैं। वर्तमान में नियम यह है जब कोई छात्र किसी स्कूल में दाखिला लेता है तो उसे स्कूल पोर्टल पर एसआरएन (स्टूडेंट रजिस्ट्रेशन नंबर ) दिया जाता है जो उसके नाम के साथ चलता रहता है अगर छात्र किसी दूसरे स्कूल में दाखिला कराना चाहता है तो पहले स्कूल प्रबंधक को अपने स्कूल से उस छात्र का एसआरएन हटा करके टीसी के साथ दूसरे स्कूल को ट्रांसफर करना होता है तभी बच्चे का दाखिला दूसरे स्कूल में हो सकता है। लेकिन स्कूल प्रबंधक ऐसा नहीं कर रहे हैं। छात्र व अभिभावक की मजबूरी का फायदा उठा कर अप्रैल मई-जून की फीस मांग रहे हैं। अभिभावक अपने बच्चे का दाखिला कराने के लिए सरकारी स्कूल, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी व जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में धक्के खा रहे हैं लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। मंच के जिला सचिव डॉ मनोज शर्मा ने कहा है कि एक ओर सरकार चाहती है कि सरकारी स्कूलों में दाखिले ज्यादा हों लेकिन वह ऐसे अभिभावकों की कोई भी मदद नहीं कर रही है। मंच ने कहा है कि सरकार या तो प्राइवेट स्कूलों से टीसी व एसएनआर दिलवाए या इस नियम में बदलाव करके उन सभी छात्रों को सरकारी स्कूल में दाखिला दिलाए जो सरकारी स्कूल में पढ़ना चाहते हैं। मंच ने स्कूल प्रबंधकों से भी कहा है कि वे लॉकडाउन के चलते अभिभावकों की आर्थिक स्थिति और मजबूरी को समझें और अभिभावकों से कोई भी पैसा लिए बिना टीसी व एसएनआर नंबर देकर मानवता का परिचय दें।

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