प्रधानमंत्री मोदी जी का नया अध्यादेश: डॉक्टरों पर हमला किया तो मिलेगी सात साल की सजा

फरीदाबाद की आवाज़ : दिल्ली 22 अप्रैल, कोरोनावायरस के खिलाफ जंग में डॉक्टर्स, नर्स और अन्य स्वास्थ्य कर्मी जान हथेली पर रखकर सैनिकों की भांति लड़ रहे हैं, लेकिन एक विशेष समुदाय द्वारा लगातार उन्हें शिकार बनाया जा रहा है। डॉक्टर, नर्स, पुलिस कर्मी आदि सरकारी कर्मचारियों को हाल ही में दर्जनों बार निशाना बनाया गया है। इसके बाद लोग स्वास्थ्य कर्मी डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए सख्त कानून बनाए जाने की मांग कर रहे थे। मोदी सरकार ने इस जरूरत को समझा और वह डॉक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा के लिए नया अध्यादेश लेकर आई है। मोदी सरकार ने इस अध्यादेश में डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों पर हमला करने वालों के लिए 7 साल तक सजा होने का प्रावधान किया है।

इस आषय का निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केबिनेट द्वारा लिया गया।

अध्यादेश के निर्णय के बारे में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मीडिया को बताया।

  • यह अध्यादेश स्वास्थ्यकर्मियों को हिंसा से बचाने के लिए लाया गया है।
  • स्वास्थ्य कर्मी देश को कोरोनावायरस से बचाने का प्रयास कर रहे हैं।
  • यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन पर हमले किए जा रहे हैं।
  • उनके खिलाफ किसी भी हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
  • एक अध्यादेश लाया गया है, जो राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद लागू हो जाएगा।
  • केंद्र सरकार स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा पर रोक लगाने के लिए अध्यादेश लाई है, जिसमें किसी के दोषी पाए जाने पर 6 माह से 7 साल तक के कारावास का प्रावधान है।
  • गंभीर चोटों पर आरोपी को 6 माह से 7 साल तक की सजा दी जा सकेगी। उन पर एक से पांच लाख रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जा सकेगा।
  • महामारी अधिनियम, 1897 में संशोधन किए गए हैं और इस अध्यादेश को लागू किया जाएगा।
  • इस तरह का अपराध संज्ञेय और गैर जमानती होगा।
  • अपराध का अनुसंधान 30 दिनों के अंदर किया जाएगा।
  • यदि स्वास्थ्य कर्मी के वाहन या क्लीनिक को नुकसान हुआ है, तो आरोपी से क्षतिग्रस्त संपत्ति की बाजार दर से दोगुना मुआवजा वसूला जाएगा।
  • दिल्ली के आरएमएस अस्पलाल के डॉक्टर सुमेध संदाशिव ने अध्यादेश का स्वागत किया है।

123 साल पुराने कानून में परिवर्तन

इस तरह मोदी कैबिनेट ने बुधवार को 123 साल पुराने कानून में परिवर्तन किया है।

गृह मंत्री शाह ने सुबह ही दे दिए थे संकेत

आईएमए फरीदाबाद की प्रधान डॉक्टर पुनीता हसीजा और मीडिया प्रभारी डॉक्टर सुरेश अरोड़ा ने अध्यादेश का स्वागत करते हुए बताया कि बुधवार की सुबह एक उच्च स्तरीय वीडियो कांफ्रेंस में गृह मंत्री अमित शाह, स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन के साथ आईएमए के नेशनल प्रधान डॉ. राजन शर्मा व सेक्रेटरी डॉ. अशोकन और आईएमए के अन्य पदाधिकारियों की एक मीटिंग हुई।

आईएमए के पदाधिकारियों ने डॉक्टरों द्वारा किए गए कार्यों का उल्लेख किया और यह भी बताया कि डॉक्टरों को किस तरह से हिंसक घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है।

तब अमित शाह ने डॉक्टरों के द्वारा किए गए कार्यों की प्रशंसा की और उनकी कठिनाइयों को समझा।

उन्होंने आश्वासन दिया था कि वह जल्द ही डॉक्टरों के विरुद्ध की जा रही हिंसक घटनाओं के लिए कोई एक जरूरी विधेयक बनाएंगे।

उन्होंने आईएमए के नेताओं से आग्रह किया कि वह अपना प्रस्तावित व्हाइट अलर्ट और प्रोटेस्ट वापिस लें।

सरकार के इस आश्वासन के बाद आईएमए के नेताओं ने प्रस्तावित व्हाइट अलर्ट और काली पट्टी बांधने का प्रोटेस्ट वापिस लेने की घोषणा कर दी।

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