खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने शहर की विभिन्न दवाइयों की दुकानों का निरीक्षण कर माॅस्क व सेनेटाइजर के निर्धारित रेट की जांच की गई, ताकि इन वस्तुओं की कालाबाजारी न की जा सके।

फरीदाबाद, 12 जून। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने शहर की विभिन्न दवाइयों की दुकानों का निरीक्षण कर माॅस्क व सेनेटाइजर के निर्धारित रेट की जांच की गई, ताकि इन वस्तुओं की कालाबाजारी न की जा सके।
वरिष्ठ औषधि नियंत्रक अधिकारी करण गोदारा ने बताया कि विभाग के आयुक्त अशोक कुमार मीणा तथा प्रदेश औषधि नियंत्रक नरेन्द्र आहुजा के दिशा-निर्देश अनुसार फरीदाबाद में मेडिकल स्टोर संचालकों से मॉस्क व हैंडसेनेटाइजर की कालाबाजारी न हो, इसके लिए यह चेकिंग अभियान चलाया गया है। उन्होंने बताया कि निरीक्षण के दौरान पाया कि अधिकांश दुकानदार सरकार द्वारा तय रेटों के अनुसार व सस्ती दर पर लोगों को मास्क व हैंड सेनेटाइजर उपलब्ध करवा रहे हैं। यही कारण है कि स्थानीय अधिकारियों ने भी भारत सरकार के समक्ष प्रस्ताव रखा है कि हरियाणा में बढ़ते मॉस्क व हैंड सेनेटाईजर के उत्पादन को देखते हुए इनकी तय दरों को और कम कर दिया जाए, ताकि लोगों को इसका फायदा मिले।
उन्होंने बताया कि उपायुक्त यशपाल के मार्गदर्शन में जिला औषधि निरीक्षक पूजा चैधरी व संदीप गहलान ने जिला में अलग-अलग स्थानों पर जाकर मेडिकल स्टोरों पर इन उत्पादों के बेचे जाने वाले रेटों की जांच की। इन टीमों ने एनआईटी नंबर एक, दो, तीन, पांच, डबुआ कालोनी तथा नहर पार गे्रटर फरीदाबाद में कार्यरत विभिन्न मेडिकल स्टोरों पर छापा मारकर यह जांच की। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि सभी जगहों पर भारत सरकार द्वारा तय कीमतों से भी कम कीमत पर यह उत्पाद मार्केट में बेचे जा रहे हैं। उन्होंन बताया कि इस समय फरीदाबाद ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में मॉस्क तथा हैंड सेनेटाइजर का उत्पादन खपत से अधिक है। इस कारण कालाबाजारी की संभावना भी नहीं है, बल्कि जिस मॉस्क का रेट सरकार ने आठ रुपए तय किया हुआ है, वह दो व तीन रुपए में मार्केट में उपलब्ध है, इसी प्रकार से तीन प्लाई का मॉस्क भी बाजार में पांच से छह रुपए की कीमत में आसानी से उपलब्ध है। वर्तमान बाजार के हालातों को देखते हुए भारत सरकार को इन मॉस्क तथा हैंड सेनेटाईजरों की कीमतों को और कम तय कर देना चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोग इसका लाभ ले सकें। उन्होंने बताया कि मुख्यालय की ओर से स्पष्ट आदेश हैं कि यदि कोई दवा विक्रेता तय कीमत से अधिक या फिर मानकों को पूरा न करने वाले उत्पाद बेचता पाया जाए तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने देश में कोरोना संक्रमण को रोकने में सहायक मॉस्क तथा हैंड सेनेटाईजरों को लेकर 21 मार्च तथा 24 मार्च 2020 को दो अलग-अलग नोटिफिकेशन जारी कर इनकी कीमतें तय की थीं, जिनके अनुसार दो प्लाई के मॉस्क बाजार में आठ रुपए तथा तीन प्लाई के मॉस्क दस रुपए की कीमत से अधिक में नहीं बेचे जाएंगें। इसी प्रकार से हैंड सेनेटाईजरों की कीमत दो सौ एमएल का हैंड सेनेटाईजर सौ रुपए की दर से अधिक में नहीं बेचा जा सकेगा तथा इसी अनुपात में बड़ी पैकिंग की कीमत तय की जाएंगी। भारत सरकार द्वारा जारी इन नोटिफिकेशनों में यह भी साफ किया गया था कि एन 95 मॉस्क की कीमत उनके उत्पादकों से हिसाब से अलग-अलग तय की गई थी। भारत सरकार के इन नोटिफिकेशनो के बाद भी कहीं बाजार में यह उत्पाद अधिक कीमत पर तो नहीं बेचे जा रहे हैं, इसकी जांच के उद्देश्य से मुख्यालय की ओर से आदेश दिए गए थे। बता दें कि इससे पूर्व खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने हैंड सेनेटाईजर की गुणवत्ता को लेकर जांच अभियान भी चलाया था, जिसके तहत विभिन्न मैडीकल स्टोरों पर बेचे जा रहे हैंड सेनेटाईजरों के सैम्पल लेकर जांच के लिए भेजे गए थे। ताकि यह सुनिश्चित हो सकें कि कहीं पर मानकों के विपरित तो हैंड सेनेटाईजर नहीं बेचे जा रहे हैं।
फोटो कैप्शन- खाद्य एवं औषधि विभाग के अधिकारी दुकानों का निरीक्षण करते हुए ।

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