-यू ट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम, लिंक्डईन, व्हाट्सएप, ट्विटर, टेलीग्राम व अन्य पब्लिक एप पर बगैर पंजीकरण के हो रहा है संचालन
-भ्रामक व गैर सत्यापित तथ्यों के आधार पर समाचारों के प्रकाशन की संभावना के चलते लिया गया निर्णय
फरीदाबाद की आवाज़ : सोनीपत, 18 जून। जिला मैजिस्ट्रेट एवं अध्यक्ष जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण सोनीपत के अध्यक्ष श्याम लाल पूनिया ने आदेश जारी करते हुए कहा कि जिला में कुछ व्यक्तियों द्वारा सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म यू ट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम, लिंक्डईन, व्हाट्सएप, ट्विटर, टेलीग्राम व अन्य पब्लिक एप का संचालन न्यूज चैनल के रूप में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से किया जा रहा है। ऐसी संचालित समस्त न्यूज चैनल की गतिविधियां कोरोना संक्रमण के काल में असाधारण स्थिति में सोशल मीडिया के न्यूज चैनल के रूप में संचालन से किसी भी प्रकार की इरादतन व गैर इरादतन फेक या गलत रिपोर्टिंग से समाज के बड़े हिस्से में घबराहट की स्थिति पैदा होने की संभावना है। ऐसे में ऐसी संचालित समस्त न्यूज चैनल की गतिविधियों को आगामी आदेशों तक प्रतिबंधित किया जाता है। आदेशों का उलंघन करना भारतीय दंड संहिता की धारा 188, 505(1), आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 54 तथा एपीडेमिक डिजीज एक्ट 1957 की धारा 1 व 2 के तहत दंडनीय होगा।
जिला मैजिस्ट्रेट ने बताया कि वर्तमान में पूरा देश कोरोना संक्रमण के गंभीर दौर से गुजर रहा है। इस दौरान चिकित्साकर्मी, आशा सहयोगिनी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, अध्यापक व समस्त प्रशासनिक मशीरी कोरोना योद्धाओं के रूप में कोरोना संक्रमण के विरूद्ध स्वयं की जान जोखिम में डालकर लड़ाई लड़ रहे हैं ताकि आम जनता की जान बचाई जा सके। इस दौरान यह देखने में आया है कि सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म जिनमें यू ट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम, लिंक्डईन, व्हाट्सएप, ट्विटर, टेलीग्राम व अन्य पब्लिक एप पर प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से कतिपय व्यञ्चितयों के द्वारा न्यूज चैनल के रूप में संचालित किया जा रहा है तथा एंकरिंग करते हुए न्यूज चैनल के समाचारों का प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से प्रस्तुतीकरण किया जा रहा है। यह कार्य निश्चित रूप से पत्रकारिता गतिविधियों के रूप में आता है तथा उक्त व्यक्तियों द्वारा सोशल मीडिया के इन प्लेटफार्म का प्रयोग करते हुए पत्रकारिता के कार्य का संचालन सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय हरियाणा सरकार चंडीगढ़ व सूचना प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार से किसी भी प्रकार की अनुमति लिए बिना ही किया जा रहा है। इनके द्वारा स्वयं को इस कार्य के लिए उक्त संस्थाओं द्वारा पंजीबद्ध भी नहीं करवाया गया है जिसके कारण वह किसी भी प्रकार के कोड आफ कंडक्ट के दायरे में नहीं आ रहे हैं। इस स्थिति में इनके द्वारा भ्रामक व गैर सत्यापित तथ्यों के आधार पर समाचारों का प्रकाशन इरादतन व गैर ईरादतन किया जाना संभव है। इस पर नियंत्रण करने की कोई क्रियाविधि नहीं है। अत: कतिपय व्यक्तियों द्वारा सोशल मीडिया के इन प्लेटफार्म जिनमें यू ट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम, लिंक्डईन, व्हाट्सएप, ट्विटर, टेलीग्राम, पब्लिक एप व अन्य न्यूज चैनल के रूप में जो संचालन किया जा रहा है इसमें भ्रामक व गैर सत्यापित तथ्यों के आधार पर समाचारों का प्रकाशन किया जाना संभावित है। इससे उन कोरोना योद्धाओं के मनोबल पर विपरित असर व आमजन के मस्तिष्क में कई भ्रांतियां व आशंकाएं पैदा होना संभावित हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे व्यक्तियों के पंजीकरण नहीं करवाने से इनकी संख्या का निर्धारण करना संभव नहीं है और संख्या निर्धारण के आभाव में इन सभी को कोरोना संक्रमण की वर्तमान असाधारण स्थिति में किसी भी प्रकार का व्यक्तिगत नोटिस दिया जाना संभव नहीं है। उन्होंने इस संबंध में अपने आदेशों में माननीय उच्चतम न्यायालय के 31 मार्च 2020 को आलोक श्रीवास्तव बनाम यूनियन आफ इंडिया के कोरोना महामारी के संदर्भ में प्रिंट मीडिया, इलैक्ट्रानिक मीडिया व सोशल मीडिया के संबंध में पारित निर्देशों का हवाला भी दिया है।
उन्होंने कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय के द्वारा उक्त निर्णय में यह अभिनिर्धारित किया गया है कि यू ट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम, लिंक्डईन, व्हाट्सएप, ट्विटर, टेलीग्राम व अन्य पब्लिक एप व अन्य किसी भी प्रकार की फेक व गलत न्यूज की जाती है तो इससे समाज में उत्तेजना फैल जाती है। इसके कारण कोरोना महामारी की स्थिति में समाज पर घातक परिणाम हो सकते हैं। वहीं आमजन के मानसिक स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि उक्त निर्णय में आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 54 का उल्लेख किया गया है जिसमें इस बात का स्पष्ट प्रावधान है कि यदि किसी भी व्यक्ति के द्वारा बिना तथ्यों के सत्यापन किए गैर सत्यापित, गलत सूचना प्रसारित की जाती है तो आमजन में पैनिक फैल सकता है। इस अवस्था में भारतीय दंड संहिता की धारा 188 में दंड के प्रावधान आकर्षित होते हैं तथा यह अपेक्षा की गई है कि समस्त पब्लिक अथारिटी भारत सरकार, राज्य सरकार के द्वारा आमजन के लिए समय-समय पर जारी की गई हैल्थ एडवाईजरी के निर्देर्शों का पालन किया जाएगा।
जिला मैजिस्ट्रेट ने कहा कि जो कोई भी व्यक्ति आपदा या इसकी गंभीरता के संबंध में झूठी चेतावनी को प्रसारित करता है और समाज में लोगों के बीच घबराहट फैलती है तो ऐसी झूठी चेतावनी फैलाने वाले व्यक्ति को एक वर्ष तक की कारावास की सजा और जुर्माने से भी दंडि़त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जिला सोनीपत में भी यह संज्ञान में आया है कि कुछ लोगों द्वारा इस तरह के सोशल मडिया प्लेटफार्म पर बगैर संबंधित एजेंसियों की अनुमति के समाचारों का संप्रेषण किया जा रहा है। इससे महामारी के दौर में उîोजना फैलना संभावित है और अगर इन्हें नियंत्रित नहीं किया गया तो असाधारण रूप से दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। ऐसी संचालित समस्त न्यूज चैनल की गतिविधियां कोरोना संक्रमण के काल में असाधारण स्थिति में सोशल मीडिया के न्यूज चैनल के रूप में संचालन से किसी भी प्रकाश की इरादतन व गैर इरादतन फेक या गलत रिपोर्टिंग से समाज के बड़े हिस्से में घबराहट की स्थिति पैदा होने संभावना है। ऐसे में कतिपय व्यक्तियों जिनके द्वारा सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म यू ट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम, लिंक्डईन, व्हाट्सएप, ट्विटर, टेलीग्राम व पब्लिक एप व अन्य का संचालन न्यूज चैनल के रूप में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से करने की समस्त गतिविधियों को आगामी आदेशों तक प्रतिबंधित करता हूं। आदेशों का उलंघन करना भारतीय दंड संहिता की धारा 188, 505(1), आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 54 तथा एपीडेमिक डिजीज एञ्चट 1957 की धारा 1 व 2 के तहत दंडनीय होगा।
प्रेस नोट- डीआईपीआरओ स्पे. 03
जिला सूचना एवं जन संपर्क अधिकारी सोनीपत।