फरीदाबाद की आवाज़ : नई दिल्ली ख़बर है कि चीन ने समंदर में ऐसी हलचल और युद्ध की प्रैक्टिस शुरू कर दी है, जो पाताल में विश्व युद्ध जैसे हालात पैदा कर सकती है। दक्षिण चीन सागर में चीन ने युद्धाभ्यास के लिए युद्धपोत भेजे हैं। ये देखकर अमेरिका ने भी अपने युद्धपोत के साथ लड़ाकू विमानों का बेड़ा रवाना कर दिया है। साउथ चाइना सी यानी दक्षिण चीन सागर का ये इलाका खरबों रुपये के खनिज का ख़ज़ाना है। इसलिए, अमेरिका और भारत समेत दुनिया के कई देश ये मान रहे हैं कि दक्षिण सागर चीन में चीनी सेना का युद्धाभ्यास एक घातक साज़िश हो सकती है।
दक्षिण चीन सागर में भारी उथल-पुथल देखने को मिल रही है। चीनी युद्धपोत ने समंदर का सीना छलनी कर दिया है। चीनी सेना ने दो महीने से ज़्यादा वक्त तक चलने वाला युद्धाभ्यास शुरू कर दिया है। इसी वजह से दक्षिणी चीन सागर में चीन की ये हलचल भारत समेत सारी दुनिया के लिए तनाव बढ़ाने वाला सेंटर बन चुकी है। कोरोना वायरस महामारी के बीच दक्षिण चीन सागर में और चीन-ताइवान विवाद को लेकर अमेरिका और चीन की सेनाएं एक्टिव रही हैं। कोरोना संकट को लेकर चीन और अमेरिका में तनातनी बढ़ती जा रही है। चीन ने ताइवान के पास 70 दिनों तक चलने वाला युद्धाभ्यास शुरू किया है, वहीं अमेरिका ने भी अपने युद्धपोत साउथ चाइना सागर में भेजे हैं। इससे दोनों महाशक्तियों के बीच बड़े संघर्ष की आशंका बढ़ गई है।
चीन मामलों के एक्सपर्ट्स का मानना है कि दक्षिण सागर चीन में जितना उसका शेयर है, उससे ज़्यादा जगह पर अपनी हुकूमत चलाने के लिए चीन लगातार उकसाने वाली कार्रवाई करता है। चीनी तटरक्षक दल, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी, और अन्य सरकारी एजेंसियां दक्षिण चीन सागर को हथियाने में कई साल से साज़िशें कर रही हैं। इस विवादित सागर में चीन जबरन अपनी समुद्री सीमा के कानून चलाता रहा है।
चीन मामलों के एक्सपर्ट्स का मानना है कि दक्षिण सागर चीन में जितना उसका शेयर है, उससे ज़्यादा जगह पर अपनी हुकूमत चलाने के लिए चीन लगातार उकसाने वाली कार्रवाई करता है। चीनी तटरक्षक दल, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी, और अन्य सरकारी एजेंसियां दक्षिण चीन सागर को हथियाने में कई साल से साज़िशें कर रही हैं। इस विवादित सागर में चीन जबरन अपनी समुद्री सीमा के कानून चलाता रहा है।
सागर में चीन का ‘पावर गेम’!
चीन पूरे दक्षिण चीन सागर और द्वीपों पर दावा करता है
चीन ने पेरासेल और स्प्रैटली द्वीपों पर 2 ज़िले बना दिए
अपने सैन्य जहाज़ों को दक्षिण चीन सागर में तैनात कर दिया
गैस और तेल परियोजनाओं के लिए निगरानी करता रहता है
साउथ चाइना सी में कब्ज़े की नीयत से 80 जगहों के नाम बदले
UN से शिकायत करने पर चीन ने वियतनाम का जहाज़ डुबो दिया
जापान, ताइवान, फिलिपींस, अमेरिका सबने चीन का विरोध किया
साउथ चाइना सी में चीन ने जिन जगहों के नाम बदले हैं, उनमें 25 आइलैंड्स और 55 समुद्र के नीचे के भौगोलिक स्ट्रक्चर हैं। ये चीन का समुद्र के उन हिस्सों पर कब्ज़े का इशारा है, जो 9-डैश लाइन से कवर्ड हैं। ये लाइन इंटरनैशनल लॉ के मुताबिक, गैरकानूनी मानी जाती है। चीन के इस कदम से ना सिर्फ उसके छोटे पड़ोसी देश बल्कि भारत और अमेरिका की टेंशन भी बढ़ गई है।
जापानी सीमा में भी चीन ने भेजे जहाज़
जापान के विदेश मंत्री भी साउथ चाइना सी में चीन की हरकतों का विरोध कर चुके हैं। दरअसल चीन ने ईस्ट चाइना सी में स्थित सेनकाकू आइलैंड्स के पास जापान की समुद्री सीमा में अपने जहाज़ भेज दिए थे। इसके जवाब में अमेरिका का जंगी जहाज़ ताइवान के जलडमरूमध्य से होकर गुज़रा। चीन को काबू में रखने के लिए अमेरिका ने एक महीने के भीतर दूसरी बार ऐसा किया ताकि दक्षिण और पूर्वी सागर पर कब्ज़े की नीयत रखने वाले चीन को कड़ा संदेश मिल सके।
भारत को खतरा क्यों?
चीन ने ताइवान को डराने के लिए समुद्र में एयरक्राफ्ट कैरियर उतार दिया था। साथ ही मलेशिया के ऑयल शिप्स को भी चीनी जहाज धमका रहे थे। इसका जवाब देने के लिए पिछले हफ्ते मलेशिया के पास विवादित समुद्री इलाके से अमेरिका ने जंगी जहाज़ पार कराए। ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के मुताबिक एक बार साउथ चाइना सी पर चीन की पकड़ मज़बूत हो गई तो वो पूर्वी हिंद महासागर में मिलिट्री पावर बढ़ाने के लिए नई-नई साज़िशें कर सकता है।
दुनिया के कई देशों के मानना है कि चीन ने पिछले कुछ सालों में अपनी सेना का बड़े पैमाने पर आधुनिकीकरण किया है। इससे वो समुद्री सीमाओं में सामरिक दबाव बनाते हुए दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में अपना दबदबा कायम करना चाहता है। वो ताइवान, हॉन्गकॉन्ग, और जापान को डराकर रखना चाहता है। लेकिन जापान के लिहाज़ से अब शक्ति संतुलन बदल गया है। चीनी सेना के मुकाबले अब जापान भी बहुत तेज़ी से अपनी सेना का आधुनिकीकरण कर रहा है। अमेरिका बड़े पैमाने पर जापान को ऐसे हथियार और उन्नत तकनीकें उपलब्ध करा रहा है, जो उसने ख़ासतौर पर चीन के ख़िलाफ़ तैयार किए हैं। इसलिए तेल और गैस के खरबों डॉलर वाले भंडार पर कब्ज़े के लिए समुद्र पर चीन को अब मनमानी चाल नहीं चलने दी जाएगी।