फरीदाबाद की आवाज़ : फरीदाबाद 5 अप्रैल यदि आपकी इच्छा हो तो आज रात ९ बजे दीप जलाएँ; इच्छा न हो तो मौन रहें। जो लोग दीप जलाना चाहते हैं, यह उनकी आस्था की बात है, उनकी आशा और उनके विश्वास की बात है। उन्हें किस बात में आस्था रखनी चाहिए, यह तय करना उनका अधिकार है। उन्हें दीप जलाने चाहिए या नहीं जलाने चाहिए, यह तय करने का ठेका आप मत लीजिए। ये शब्द एन आई टी 86 के एम एल ए के बड़े भाई पंडित मुनेश के है।
पंडित मुनेश जी ने कहा जिसने दीप जलाने को कहा है और जो उसकी बात मानकर दीप जलाने वाले हैं, उन दोनों को पता है कि इससे वायरस नहीं मरता, और दीप जलाने के पीछे उनका वह इरादा भी नहीं है। इसलिए उस पर चुटकुले बनाकर या बेतुके सवाल पूछकर अपनी मूर्खता और अशिष्टता का सार्वजनिक प्रदर्शन भी न करें। इससे उनका कुछ नहीं जाता, आप ही हंसी के पात्र बनते हैं।
जो लोग दीप जलाने वाले हैं, वे स्वयं को याद दिलाना चाहते हैं कि हम सब एक हैं, हम सब साथ मिलकर इस विपत्ति का सामना करेंगे और हम सब साथ मिलकर इससे बाहर निकलेंगे। इस भावना को स्वयं में जगाए रखने और अपनी सामूहिकता की शक्ति को महसूस करने के लिए वे साथ मिलकर एक ही समय पर एक साथ करोड़ों दीप जलाना चाहते हैं। ऐसा वे वायरस मारने के लिए नहीं कर रहे हैं, बल्कि एक-दूसरे से जुड़ाव महसूस करने और एकता जताने के लिए कर रहे हैं। यह वैसा ही है जैसे लोग किसी झंडे को, किसी गीत को, किसी रंग को, किसी पोशाक को या इसी तरह की किसी न किसी चीज को सामूहिक रूप से अपनाते हैं और उसके कारण आपस में जुड़ाव महसूस करते हैं। कोई अगर कहे कि राष्ट्रीय ध्वज या राष्ट्रीयगान को ठुकरा दिया जाए क्योंकि उससे देश नहीं चलता, तो ये मूर्खता की बात है क्योंकि उस झण्डे या गान को अपनाने का उद्देश्य किसी देश को चलाने का है ही नहीं। उसका उद्देश्य उन सब लोगों को साथ जोड़ने का है, जिनसे मिलकर राष्ट्र बनता है और फिर जो साथ मिलकर देश को आगे बढ़ाते हैं।
उसी तरह कोई अगर कहे कि दीप इसलिए नहीं जलाना चाहिए क्योंकि इससे वायरस नहीं मरने वाला है, तो यह भी उतनी ही बड़ी मूर्खता है क्योंकि दीप जलाने का उद्देश्य वायरस भगाना है भी नहीं। इसका उद्देश्य लोगों को याद दिलाने का है कि हम सब इस आपदा में साथ हैं और इससे साथ मिलकर निपटेंगे। इसका उद्देश्य लोगों की आशा को जगाए रखने और उन्हें निराशा से बचाने का है। आप निराशावादी हैं, तो आप अपनी निराशा में डूबे रहिये, उससे किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी, लेकिन दीप जलाने वालों को टोककर उन्हें अपने समान निराशावादी बनाने की व्यर्थ कोशिश मत कीजिए। उन्हें उनकी आस्था का पालन करने से रोकने वाले आप कौन होते हैं?
इस सरकार में आस्था हो या न हो, लेकिन जिस किसी की भी आस्था इस देश में है और मानवता में है, जिस किसी की भी आस्था इस विश्वास में है कि हम सब साथ मिलकर ज़रूर इस आपदा से निपटेंगे और सकुशल बाहर निकलेंगे, उन सभी को आज एक दीप अवश्य जलाना चाहिए और स्वयं को याद दिलाना चाहिए कि आप इस विपत्ति में अकेले नहीं हैं।
नकारात्मक लोगों को उनके हाल पर छोड़ दीजिए। उनसे बहस में अपनी सकारात्मक ऊर्जा मत गंवाइए। आज एक दीप अवश्य जलाइए, चाहे कोई कुछ भी कहे।